
आज से कई वर्षो पूर्व शुरू हुए गैंगवार और गैंगस्टर के युद्ध के महासंग्राम में और एक अध्याय जुड़ गया है। 24 फ़रवरी शुक्रवार की रात प्रयागराज के धूमनगंज थाने के सुलेमसराय में स्थिति घर के बाहर उमेश पाल की गोलियों और बम से भून कर हत्या करदी गयी।
बता दें कि उमेश पाल एक सनसनीखेज हत्याकांड के प्रमुख चश्मदीद गवाह थे। सन 2005 में BSP एमएलए राजू पाल कि उनके ऑफिस में सामने गोलियों से भून कर बदमाशों ने हत्या कर दी थी। उनके पीछे आ रहे उनके सहयोगियों ने रिक्शे में लादकर उनको जीवन ज्योति अस्पताल ले जाने की कोशिश की जहां रिक्शे पर उनको ले जाते हुए देख हत्यारों ने सोचा कि अभी तक वो जिंदा है और उन्होंने उनका पीछा करके 5 किलोमीटर तक ऑटो रिक्शा को गोलियों से भून दे रहे। राजू पाल को कुल 24 गोलियां लगी और वह वहां के डॉक्टरों ने उनको मृत घोषित कर दिया।
बता दें कि राजू पाल की हत्या में शामिल अभियुक्तों में एक अभियुक्त के पिता की हत्या का आरोप भी राजू पाल पर लगा था। कहा जाता है कि इस पूरी हत्या के पीछे प्रयागराज के गैंगस्टर व सपा से फूलपुर से विधायक एवं सांसद रह चुके अतीक अहमद का नाम आया था कहा जाता है ।कि राजू पाल राजू पाल पहले अतीक अहमद का दाया हाथ माना जाता था लेकिन कुछ आपसी विवादों एवं टकराव के बाद उसने अतीक का साथ छोड़ दिया एवं उसके भाई के खिलाफ विधायकी का चुनाव लड़ा। जिसमें कि अतीक़ का भाई हार गया ,एवँ राजू पाल बसपा से चुनकर पहली बार विधायक बने ।उसके दो तीन से 3 महीनों के भीतर उस पर कई बार हत्या का असफल प्रयास हुआ लेकिन हर बार वह बच जाता रहा। किंतु एक बार उसको सफलतापूर्वक गैंगस्टर ने मार दिया उसका मुकदमा माननीय न्यायालय में लंबित है जिसका मुख्य गवाह चश्मदीद राजू पाल का सहयोगी आनंदपाल था। 24 फरवरी शुक्रवार की रात को आनंदपाल धूमनगंज के सुलेम सराय स्थित अपने आवास पर लौट रहा था। उसके गाड़ी में पहले बदमाशों ने गोली मारी गाड़ी से उतरते उसको गोलियां मारी गई जहां वह भागने लगा उसको भागता देख बदमाशों ने उस पर बम से हमला कर दिया। आनन-फानन में उसको स्वरूपरानी नेहरू अस्पताल ले जाया गया जहां पर उसको मृत घोषित कर दिया गया।