
स्वतंत्रता के समय इलाहाबाद के परिपेक्ष में लिखा गया ऐसा उपन्यास जो 80 साल से युवाओं की है पहली पसंद जाने उसका नाम-
कॉलेज के युवाओं हुआ वयस्कों में कविता, उपन्यास, प्रेम कहानी और फिल्में हमेशा से पसंद की जाती रही है ।उस उम्र में लोगों को विपरीत लिंग के प्रति आकर्षण और प्यार की अनुभूतियां होती हैं जिनके कारण में ऐसी कहानियों कथाओं कविताओं व फिल्मों की तरफ आकर्षित होते हैं।
हम आज आपको बताने जा रहे हैं एक ऐसे ही उपन्यास के बारे में जो आज से तकरीबन 75 साल पहले लिखा गया था और जिसको लिखने वाले लेखक खुद उस समय अधेड़ अवस्था में पहुंच चुके थे जिनका नाम था धर्मवीर भारती।उन्होंने इलाहाबाद जो कि अब प्रयागराज हैं वहां के क्षेत्र को ध्यान में रखते हुए उस समय की परिस्थितियों में एक उपन्यास की रचना की जिसका नाम था -‘गुनाहों का देवता’।उस उपन्यास के मुख्य किरदार थे चंद्र और उसकी प्रेमिका।
इस उपन्यास में आप पढ़ाई के प्रति लगन एक दूसरे की देखभाल ,चिंता व् सच्ची प्रेम को समझ सकते हैं।
प्रेम न केवल साथ जीने व साथ रहने का नाम है बल्कि त्याग व एक दूसरे के लिए बलिदान देना भी प्रेम का महत्वपूर्ण अंग है। यह दिखाया गया है इस उपन्यास में।
इस उपन्यास में धर्मवीर भारती दिखाते हैं कि हमेशा प्रेम को सर्वोपरि नर के कुछ अन्य जिम्मेदारियों कर्तव्यों का पालन करना चाहिए तथा अपने को आश्रय देने वाले के खिलाफ कभी भी नहीं जाना चाहिए भले आप कितनी सही वह कितना गलत हो क्योंकि कठिन परिस्थितियों में हर कोई साथ नहीं देता।
अपने प्रेम को अपनी आंखों के सामने किसी और का होते हुए देखना वह अपनी आंखों के सामने उसकी मौत होते हुए देखना कितना दुखदाई व दर्द भरा होता है इसका जीवन प्रदर्शन किया है इस उपन्यास में धर्मवीर भारती ने जिन लोगों ने इस उपन्यास को पड़ा है वे अवश्य इसके बारे में जानते होंगे तथा जिन्होंने इस उपन्यास को अब तक नहीं पड़ा है एक बार इसका अध्ययन कर ले तो इस उपन्यास के मुरीद हो जाएंगे।