
हम आपको आज बताने जा रहे हैं एक ऐसी कहानी के बारे में जो कहानी हमें जिंदगी को नए तरीके एवं नए नजरिए से सोचने एवं देखने पर मजबूर कर देती है।इंसानी मन कितना चंचल होता है तथा हमेशा कितनी आशंकाओं से घिरा होता है। यह देखने को मिलेगा इस कहानी में। हमारा मन कभी भी एक जगह स्थिर नहीं होता और एक नए बेहतर की तलाश में हमेशा पुराने को त्यागने को तैयार रहता है।
जी हां हम बात कर रहे हैं प्रसिद्ध हिंदी साहित्य की लेखिका एवं कवियत्री मनु भंडारी द्वारा लिखित कहानी ‘यही सच है’ की।इस कहानी की असलियत दिखाने की क्षमता एवं जीवंतता के कारण ही इस कहानी को केंद्रीय लोकसेवा आयोग की हिंदी वैकल्पिक विषय की पाठ्यक्रम में सम्मिलित किया गया है मन्नू भंडारी द्वारा लिखित इस कहानी का नाम है ‘यही सच है’ । इस कहानी को पढ़ने के बाद पाठकों के मन में कुछ सवाल अंततः बचे रह जाते हैं जो कि मन को कचोटते हैं वह निम्न है-
लेकिन कुछ अधूरी सी लगी न जाने कितने सवाल छोड़ गई
- निशिथ से दोबारा प्यार करके क्या दीपा ने संजय के साथ छल नहीं किया ?
- शुरू में दीपा ने कहा कि 18 वर्ष की उम्र में हुआ प्रेम बस एक मजाक है और बाद में कह रही है कि पहला प्रेम ही सच्चा प्रेम होता है ? किसको सच माने?
- निशीथ ने पत्र में केवल बधाई क्यों दी दीपा के पत्र का जवाब क्यों नही दिया ? क्या वो सच में अब भी दीपा से प्यार करता है या ये भ्रम मात्र था ?
- अंतिम क्षण में दीपा सब कुछ झूठा मानकर संजय के प्रेम को ही सबकुछ मान लेती है , ये मन कितना क्षणिक है बदलता रहता है । क्या मन विश्वास करने योग्य है ?